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ज्योतिष में यदि शुक्र और केतु का संयोग हो तो यह एक ऐसा योग है जो व्यक्ति के जीवन को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करता है जहां शुक्र प्रेम सौंदर्य संबंधों में अभिव्यक्ति, संमजस्यता, कौशल, कलात्मकता, रचनात्मकता, सुख के संसाधन,लग्जरी लाइफ का प्रतिनिधित्व करता है वहीं दूसरी और केतु आध्यात्मिकता एवं धर्म की तरफ उन्मुख करता है पिछले जन्म के कर्मों से इसका संबंध है यह एक विभाजनकारी ग्रह है जो मंगल का प्रभाव लेकर संबंधों को विभाज्य करता है तोड़ता है एवं किसी भी चीज में अथवा जीवन के किसी भी पहलू में असंतोष व्याप्त रखता है जब यह दोनों ग्रह संयुक्त रूप में आ जाएं तो उनकी ऊर्जाएं कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं कामनाओं को जन्म देती है एवं उनकी प्राप्ति के लिए तत्पर रखती है व्यक्ति का पूरा जोर लग जाता है इन इच्छाओं की पूर्ति में या तो यह अपूर्ण ही दम तोड़ देती है या पूर्ण होन…
ज्योतिष में यदि शुक्र और केतु का संयोग हो तो यह एक ऐसा योग है जो व्यक्ति के जीवन को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करता है जहां शुक्र प्रेम सौंदर्य संबंधों में अभिव्यक्ति, सामंजस्यता, कौशल, कलात्मकता, रचनात्मकता, सुख के संसाधन,लग्जरी लाइफ का प्रतिनिधित्व करता है वहीं दूसरी और केतु आध्यात्मिकता एवं धर्म की तरफ उन्मुख करता है पिछले जन्म के कर्मों से इसका संबंध है यह एक विभाजनकारी ग्रह है जो मंगल का प्रभाव लेकर संबंधों को विभाज्य करता है तोड़ता है एवं किसी भी चीज में अथवा जीवन के किसी भी पहलू में असंतोष व्याप्त रखता है जब यह दोनों ग्रह संयुक्त रूप में आ जाएं तो उनकी ऊर्जाएं कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं कामनाओं को जन्म देती है एवं उनकी प्राप्ति के लिए तत्पर रखती है व्यक्ति का पूरा जोर लग जाता है इन इच्छाओं की पूर्ति में या तो यह अपूर्ण ही दम तोड़ देती है या पूर्ण होने के बाद उनका मोह खत्म होकर तुरंत एक नयी इच्छा को जन्म देती है l
उदाहरण से समझे तो जब ऐसा व्यक्ति शॉपिंग के लिए जाता है मान लीजिए उसे एक घड़ी की आवश्यकता है पहले तो उसे कोई भी ऐसी वैसी या निम्न कीमत की घड़ी पसंद नहीं आती है वहां शोकेस में रखी हुई सबसे महंगी घड़ी पर इसका दिल आ जाता है लेकिन उसके लिए इसकी पॉकेट अलाउ नहीं करती l उस घड़ी की कसक मन में लिए वापस आ जाता है और तब तक उसके सपने लेता है जब तक की उसके खरीदने लायक वह अपनी औकात नहीं बना लेता अथवा उसे खरीद कर घर नहीं ले आता इस पूरे काल के दौरान वह उदासीन भी हो सकता है अथवा दुखी भी, इच्छा पूरी नहीं होने पर उदासीनता की कालिख इनके मन में जमती चली जाती हैl यदि वह इस घड़ी को प्राप्त कर लेता है तो ठीक उसी क्षण इस वस्तु का मोह भी उसके मन से जाता रहता है अब यह घड़ी उसकी वार्डरोब में होनी अवश्य चाहिए लेकिन वह इसे अपनी कलाई पर पहने या नहीं पहने इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता अब एक दूसरी इच्छा इसका स्थान ले लेती है इनके साथ यह मामला केवल वस्तुओं में ही नहीं बल्कि संबंधों में भी बैठता है इन्हें अपना पार्टनर दुनिया का सबसे बेहतर व्यक्ति चाहिए अथवा यूं कहूं की वह परफेक्ट होना चाहिए जँहा इनका दिल लगता है वंहा शादी होना मुश्किल होता है और जिससे शादी होती है अब उसमे परफेक्शन ढूंढ़ने लगते है जिससे इनका पहला सबंध अथवा शादी टूटने की कगार पर आ जाती है l
यह कुंडली आधारित बाकी दशाओं पर भी निर्भर करेगा l
यदि व्यक्ति इस युति के प्रभाव को समझते हुए अपनी इच्छा-कामना के आवेग को नियंत्रण करें और यह भी समझ ले की इस संसार में परफेक्ट कुछ भी नहीं है परमात्मा के सिवा,तो उसका जीवन आसान हो जायेगा l